भिलाई विधायक देवेंद्र यादव के खिलाफ चुनाव याचिका पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने जवाब पेश करने दिया अंतिम मौका

बिलासपुर, 8 जनवरी। विधायक देवेंद्र यादव की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ तो बलौदा बाजार हिंसा मामले में जेल गए देवेंद्र यादव की हाइकोर्ट से जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने भिलाई चुनाव को लेकर एक चुनाव याचिका लगाई है। जिसकी सुनवाई लगातार चल रही है। बुधवार को इस मामले में एक बार फिर न्यायाधीश राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई।

इस सुनवाई के दौरान विधायक यादव के अधिवक्ता बीपी शर्मा से कोर्ट ने पूछा कि विधायक द्वारा अब तक शपथ पत्र के साथ जवाब पेश क्यों नहीं किया गया है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको बहुत अवसर दिया जा चुका है। यह आपको अंतिम अवसर दिया जा रहा है। इसके बाद भी अगर तय समयावधि में जवाब पेश नहीं हुआ तो मामले की सुनवाई शुरू की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा कि विधायक देवेंद्र यादव जेल में है। उनसे मुलाकात का समय नहीं मिल पा रहा है। इसलिए जवाब पेश करने में विलंब हो रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि विधायक के अधिवक्ता जेल जाकर विधायक से एक दो नहीं तकरीबन आठ बार मिल चुके हैं। इतना कहने के साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एनके शुक्ला ने तारीखें भी गिनाई जिन तिथियों में वकील ने विधायक से मुलाकात की थी। झूठ पकड़े जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और जवाब पेश करने अंतिम अवसर दिया। इसके लिए विधायक यादव को कोर्ट ने 10 दिन की मोहलत दी है। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 22 जनवरी की तिथि तय कर दी है।

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि हलफनामे में सही तथ्यों का खुलासा नहीं करने से चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हुई है। वहीं सुनवाई के दौरान भ्रष्ट आचरण के संबंध में चुनाव याचिकाकर्ता ने चुनाव याचिका के पैरा 21 से 24 तक विभिन्न प्रासंगिक तथ्यों का तर्क दिया है। वहीं याचिका में देवेंद्र यादव पर अचल संपत्ति के संबंध में सही तथ्यों को नहीं रखने की जानकारी दी है।

16 दिसंबर 2024 की सुनवाई में प्रतिवादी के अधिवक्ता बीपी सिंह और मलयनाथ ठाकुर ने मामले में निर्देश प्राप्त करने और लंबित आवेदनों पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा था। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर समय दिया। कोर्ट के आदेश में कहा गया कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी न्यायिक हिरासत में है और जमानत के लिए उसका आवेदन विचाराधीन है, प्रतिवादी के वकील द्वारा मांगे जाने पर तीन सप्ताह का समय दिया था।